राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने गणतंत्र दिवस 2016 के अवसर पर भारतीय सैन्य कर्मियों को सम्मान प्रदान करने की सूची में शामिल एक अशोक चक्र, दो कीर्ति चक्र और आठ शौर्य चक्र पुरस्कार प्रदान करने की अनुमति दे दी है।
निम्नलिखित जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के साथ संलग्न है :
- सैन्य कर्मियों को दिए जाने वाले सम्मान और पुरस्कारों की पूरी सूची।
- सैन्य पुरस्कार की चक्र शृंखला का अलंकरण।
- सैन्य कर्मियों को दिए जाने वाले सम्मान और पुरस्कारों की संक्षिप्त विवरणी।
- पुरस्कार प्राप्त करने वालों के चित्र।
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पुरस्कृत –
अशोक चक्र
- लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी (मरणोपरांत), 9 पैरा (विशेष बल)
कीर्ति चक्र
- सूबेदार महेंद्र सिंह, सेना पदक, 9 पैरा (विशेष बल)
- सिपाही जगदीश चंद (मरोणापरांत), 546 डीएससी प्लाटुन
शौर्य चक्र
- कर्नल संतोष यशवंत महादिक (मरणोपरांत), सेना मेडल, 41 राष्ट्रीय रायफल्स (पैरा)
- मेजर प्रफुल कुमार भारद्वाज, 12 पैरा (विशेष बल)
- मेजर अनुराग कुमार, 9 पैरा (विशेष बल)
- मेजर संदीप यादव, 55 राष्ट्रीय रायफल्स (सशस्त्र)
- लेफ्टिनेंट हरजिंदर सिंह, 3 कुमाऊं,
- नायक सतीश कुमार (मरणोपरांत), 21 राष्ट्रीय रायफल्स, (गार्ड्स)
- नायक खीम सिंह मेहरा, 21 कुमाऊं
- सिपाही धरम राम (मरणोपरांत), 1 राष्ट्रीय रायफल्स (महार)
लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी, अशोक चक्र (मरणोपरांत)
02-03 सितंबर 2015 की मध्यरात्रि को लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के हाफ्रूदा जंगल में घात लगा कर बैठे हुए थे। करीब रात सवा आठ बजे चार आतंकवादियों के साथ भयानक मुठभेड़ हुई जिसमें उनके दो साथी घायल हो कर गिर गए। अपनी जान की परवाह किए बिना एक साथी के साथ लांस नायक मोहन अपने घायल साथियों को बचाने के लिए आगे बढ़े। उन्होंने पहले एक आतंकवादी का खात्मा करने में मदद की। अपने तीन घायल साथियों की जान की खतरे को भांपते हुए लांस नायक मोहन ने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकवादियों पर हमला बोल दिया। उन्हें जांघ में गोली लगी। इसके बावजूद वे और आगे बढ़े तथा एक आतंकवादी को मार गिराया और दूसरे को घायल कर दिया लेकिन इस दौरान उनके पेट में भी गोली लगी। अपनी चोट की चिंता किए बिना वे आखिरी आतंकवादी की ओर बढ़े और अपनी अंतिम सांस लेने से पहले उसे भी मार गिराया। लांस नायक मोहन ने न केवल दो आतंकवादियों को मार गिराया बल्कि दो अन्य आतंकवादियों का सफाया करने में भी मदद की तथा अपने तीन घायल साथियों का जीवन बचाया।
इस प्रकार लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी ने दो आतंकवादियों को मारने और अपने घायल साथियों सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में मदद करने में अदम्य वीरता का प्रदर्शन करते हुए भारतीय सेना की उच्च परंपरा को कायम रखते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी को ‘अशोक चक्र (मरणोपरांत)’ प्रदान किया जाता है।
सूबेदार महेंद्र सिंह, सेना पदक
सूबेदार महेंद्र सिंह कई गोलीबारी में शामिल रहे, जिनमें कई बार उनके प्रेरक नेतृत्व, चौकन्नेपन और साहस से कई महत्वपूर्ण सफलताएं मिलीं। 2013 में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान के नियमित सैनिक को मार गिराने में उनके उल्लेखनीय साहस और पहल के लिए उन्हें सेना पदक प्रदान किया गया है।
02 सितंबर 2015 को रात सवा आठ बजे जम्मू–कश्मीर में कूपवाड़ा जिले के दारेल जंगल में आतंकवादियों के साथ सामना हुआ जिसमें उनके दो साथियों को बुरी तरह घायल कर दिया गया। अद्भुत नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए जेसीओ लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी के साथ अपने साथियों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए आगे बढ़े। इस बीच भारी गोलीबारी हो रही थी। खतरे को भांपते हुए सूबेदार महेंद्र ने तुरंत जवाबी गोलबारी की और एक आतंकवादी को मार गिराया। उनके ऐसा करने से दूसरा आतंकवादी बौखला गया और उसने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दी। गोलीबारी की परवाह किए बिना वे आतंकवादियों की ओर बढ़े। तब एक आतंकवादी ने सूबेदार महेंद्र के पेट में गोली मार दी, जिसके कारण वे अपने शरीर के कमर से नीचे का हिस्सा हिला भी नहीं पा रहे थे, इसके बावजूद उन्होंने एक आतंकवादी को अपने बंदूक की गोली से मार गिराया। आतंकवादियों की गोलियों और अपनी चोट की परवाह किए बिना उन्होंने अपने साथियों को वहां से निकालने में अदम्य साहस का परिचय दिया।
शरीर का कमर से नीचे का भाग निष्क्रिय हो जाने के बावजूद दो विदेशी आतंकवादियों को मार गिराने और मारे गए साथियों को बाहर निकालने में सहायता में उल्लेखनीय नेतृत्व निस्वार्थ एवं अतुलनीय साहस का प्रदर्शन करने के लिए सूबेदार महेंद्र सिंह को ‘कीर्ति चक्र’ प्रदान किया जाता है।
सिपाही जगदीश चंद
सिपाही जगदीश चंद 18 विंग वायु सेना की 546 रक्षा सेवा प्लाटून में नियुक्त थे। 01/02 जनवरी 2016 की रात साढ़े तीन बजे जब वे रक्षा सेवा कोर लाईन में सेना की ड्यूटी पर तैनात थे, उस समय हथियारों से लैस पांच-छह आतंकवादी उस क्षेत्र में घुसे और वहां तैनात टुकड़ी पर अंधाधुंध गोलीबारी की। इस गोलीबारी में उनके दो साथी गंभीर रूप से घायल हो गए। चौकन्नेपन और अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए सिपाही जगदीश चंद ने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना आतंकवादियों की ओर भागे और उनका पीछा करते हुए उन्हें पकड़ लिया। सिपाही जगदीश चंद ने एक आतंकवादी से उसकी बंदूक छीन कर उसी को मार गिराया। इस दौरान वहां मौजूद दो अन्य आतंकवादियों ने सिपाही जगदीश चंद पर गोलियां बरसाईं जिसके कारण वे घटनास्थल पर शहीद हो गए।
सिपाही जगदीश चंद की सजगता, अदम्य साहस और वीरता से कई जानें बचीं और वहां मौजूद दल को त्वरित कार्रवाई करने के लिए समय मिल पाया। सिपाही जगदीश चंद के इस कार्य से आतंकवादियों को भी आघात पहुंचा। इस अतुलनीय साहसिक कार्य के लिए सिपाही जगदीश चंद को ‘कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)’ प्रदान किया जाता है।
कर्नल संतोष यशवंत महादिक, सेना पदक
कर्नल संतोष यशवंत महादिक, एसएम, पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) के तेज-तर्रार अधिकारी हैं और वे जुलाई 2014 से 41 राष्ट्रीय रायफल्स की कमान संभाले हुए हैं। कर्नल संतोष अपने प्रेरणादायी नेतृत्व और मानवीय कौशल से शिक्षा, खेल तथा स्वास्थ्य-देखभाल के क्षेत्र में ऑपरेशन सद्भावना की सफल पहल से कुपवाड़ा कस्बे में महत्वपूर्ण बदलाव लाए।
कर्नल संतोष 17 नवंबर 2015 को जम्मू–कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के मनीगाह जंगल क्षेत्र में आतंकवादियों की उपस्थिति के बारे में मिली विशेष जानकारी पर खोज अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। दिन में करीब सवा बारह बजे उन्हें सूचना मिली कि आतंकवादी कश्मीरी मनीगाह के नजदीकी जंगल क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं। हमेशा नेतृत्व करने वाले कर्नल संतोष अपने त्वरित कार्यवाई दल (क्यूआरटी) के साथ उस स्थान की ओर तेजी से बढ़े। जैसे ही दल वहां पहुंचा, जंगल में छिपे आतंकवादियों ने भारी गोलीबारी कर दी। उन्होंने भी तुरंत जवाबी गोलीबारी की और आतंकवादियों को उनके स्थान से हटा दिया। आतंकवादियों की अंधाधुंध गोलीबारी और अपनी जान की परवाह किए बिना कर्नल संतोष ने अपने दल को आतंकवादियों पर कब्जा करने का मौका दिया। हालांकि गोलीबारी में उन्हें कई गोलियां लगीं। कर्नल संतोष को घटना स्थल से हटाने के पहले तक गंभीर चोटों के बावजूद वे आतंकवादियों का मुकाबला करते रहे। गंभीर रूप से घायल कर्नल संतोष अंत में शहीद हो गए।
कर्नल संतोष वाई महादिक ने अपनी टुकड़ी की रक्षा करते हुए भारतीय सेना की उच्च परंपरा को कायम रखते हुए अपने प्राणों की सर्वोच्च आहूति दे दी।
अपनी जान की पारवाह किए बिना नेतृत्व, अदम्य साहस और सेवा के प्रति असाधारण समर्पण के सराहनीय कार्य के लिए कर्नल संतोष यशवंत महादिक को ‘शौर्य चक्र (मरणोपरांत)’ प्रदान किया जाता है।
मेजर प्रफुल कुमार भारद्वाज
मेजर प्रफुल कुमार भारद्वाज ने 13 जुलाई 2015 की रात में मौजूदा असम रायफल्स पोस्ट से 120 किमी. की दूरी पर नगालैंड में फेक जिले के अवांखु गांव में एक विशेष ऑपरेशन शुरू किया। घने जंगलों और जोखिम भरे ढलानों तथा खराब मौसम में मेजर प्रफुल का दल 15 जुलाई 2015 को रात 11 बजे अपने लक्ष्य पर पहुंचा।
करीब रात पौने बारह बजे एक झोपड़ी के आसपास हो रही हलचल का जायजा लेते समय मेजर प्रफुल और उनके साथी पर गोलीबारी हुई। अपने दल पर खतरे को भांपते और किसी भी प्रकार के सुरक्षा के बिना मेजर प्रफुल ने झोपड़ी पर जवाबी गोलीबारी की और एक आतंकवादी का सफाया कर दिया। इस दौरान उनके दाएं हाथ की कुहनी में चोट लगी और गोली लगने से उनका हथियार भी जाम हो गया। बेतहाशा खून बहने और हथियार नाकाम हो जाने के बावजूद मेजर प्रफुल अपने प्राणों की परवाह किए बिना झोपड़ी की तरफ दो ग्रेनेड फेक कर दूसरे आतंकवादी को मार गिराया। साहस के इस महान कार्य के लिए मेजर प्रफुल भारद्वाज को ‘शौर्य चक्र प्रदान’ किया जाता है।
मेजर अनुराग कुमार
मेजर अनुराग कुमार 26/27 अगस्त 2015 को जम्मू–कश्मीर में वारामूला जिले के लिड्डेर पंजाल में सर्च एंड डिस्ट्राय ऑपरेशन में हेलीकॉप्टर वाले 9 पैरा (विशेष बल) दल का नेतृत्व कर रहे थे।
मेजर अनुराग के नेतृत्व में स्क्वैड, जहां आखिरी बार आतंकवादी नजर आए, उस स्थान पर पहुंचा और वहां तलाशी अभियान शुरू किया। 26 अगस्त 2015 को दिन में दो बजे अधिकारी ने बोल्डर के पीछे कुछ हरकत देखी और अपने स्क्वैड को तैनात कर दिया लेकिन आतंकवादियों की अंधाधुंध गोलीबारी के खतरे को भांपते हुए अपने प्राण पर खेलकर हवलदार विरेंदर सिंह और नायक जाविद अहमद चोपन के कवरिंग फायर में उन्होंने एक आतंकवादी को मार गिराया। उसके बाद मेजर अनुराग ने बचे हुए आतंकवादी के आसपास घेरा डाल दिया। 27 अगस्त 2015 को सुबह 11 बजे उस आतंकवादी ने गोलियां चलाकर घेरा तोड़कर भागने की कोशिश की। मेजर अनुराग ने अंधाधुंध गोलियों का बड़े साहस से मुकाबला किया और आतंकवादी को मार गिराया। अंदर फंसे एक और आतंकवादी को बातचीत में उलझाए रखा। इस बीच उनके साथी नायक चोपन ने उसे पकड़ लिया।
दो विदेशी आतंकवादियों को मार गिराने तथा तीसरे आतंकवादी को पकड़ने में सूझबूझ, निस्वार्थ, प्रेरक नेतृत्व तथा अतुलनीय साहस के लिए मेजर अनुराग कुमार को ‘शौर्य चक्र’ प्रदान किया जाता है।
मेजर संदीप यादव
मेजर संदीप जुलाई 2013 से पुलवमा में कार्य कर रहें है और उनकी खुफिया जानकारी एकत्र करने तथा कार्यवाही करने का गुण अनुकरणीय है।
10 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में पुलवामा जिले के रतनपुर गांव में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना प्राप्त हुई थी। मेजर संदीप ने धान के खेत में संदिग्ध गतिविधि देखी, तभी दो आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। मेजर संदीप ने जवाबी कार्यवाही कर आतंकवादियों पर काबू कर लिया और अपने दल को तैनात कर उन्हें घेर लिया।
11 अगस्त को 18 घंटे की गोलीबारी के बाद मेजर संदीप ने बिना किसी सुरक्षा के आतंकवादियों की ओर बढ़ते हुए दोनों आतंकवादियों को मार गिराया। इस कार्यवाई में लश्कर तंजीम के दो आतंकवादी मारे गए।
नेतृत्व, निडर, साहस और वीरता के इस प्रदर्शन के लिए मेजर संदीप यादव को ‘शौर्य चक्र’ प्रदान किया जाता है।
लेफ्टिनेंट हरजिंदर सिंह
लेफ्टिनेंट हरजिंदर सिंह 05 जून 2015 को जम्मू-कश्मीर में हुए एक मुठभेड़ में कमांडर थे। रात साढ़े दस बजे के करीब तीन आतंकवादी देखे गए। लेफ्टिनेंट हरजिंदर सिंह ने उनका पीछा किया और स्थिति को देखते हुए गोली चलाई, जिससे आतंकवादी दो दलों में बंट गए और भाग निकले। सुबह पांच बजे अधिकारी ने शौर्य का परिचय देते हुए मल्टी ग्रेनेड लांचर से फायरिंग की और पहले आतंकवादी को मार गिराया। इस बीच दूसरे आतंकवादी ने गोलीबारी की लेकिन अधिकारी ने उसकी परवाह किए बिना उसे भी मार गिराया।
तनाव भरे ऑपरेशन की स्थिति में अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए लेफ्टिनेंट हरजिंदर सिंह को ‘शौर्य चक्र’ प्रदान किया जाता है।
नायक सतीश कुमार
नायक सतीश कुमार 7 अप्रैल 2015 से 21 राष्ट्रीय रायफल्स में तैनात थे।
4 दिसंबर 2015 को वे बोबान वास्टर जंगल में खोज और नष्ट करने की कार्रवाई में एक छोटे दल का नेतृत्व कर रहे थे। दिन में करीब 1.05 मिनट पर नायक अनिल अचानक आतंकवादी की गोली से घायल हो गए। यह देखकर नायक सतीश कुमार एक कटे हुए पेड़ की तरफ बढ़े और एक आतंकवादी को मार गिराया। उसके बाद नायक सतीश कुमार ने नायक अनिल की मरहम पट्टी कर उस स्थान से हटाया। इसी दौरान छिपे हुए दूसरे आतंकवादी ने उन पर गोली चलाई जिससे उनका दांया पैर घायल हो गया। इसके बावजूद अपनी जान की परवाह किए बिना नायक सतीश ने दो हैंड ग्रेनेड आतंकवादी की ओर फेंका जिसमें आतंकवादी मारा गया। हालांकि इस दौरान आतंकवादी की एक और गोली लगने से नायक सतीश कुमार शहीद हो गए।
असाधारण साहस, दो कट्टर आतंकवादियों को मार गिराने में अपना कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राणों की आहूति देने के लिए नायक सतीश कुमार को ‘शौर्य चक्र (मरणोपरांत)’ प्रदान किया जाता है।
नायक खीम सिंह मेहरा
08 अगस्त 2015 की रात को जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर जुमागुंड नार से लगे लारा क्षेत्र में तीन आतंकवादियों ने घुसपैठ की कोशिश की। नायक खीम सिंह मेहरा घात लगाकर तैनात थे और उन्होंने सुबह साढ़े पांच बजे आतंकवादियों को जंगल में घूमते हुए देखा। बड़ी सतर्कता से नायक खीम सिंह नाला की ओर बढ़े और आतंकवादियों पर धावा बोल दिया जिसमें एक आतंकवादी घटनास्थल पर ही मारा गया। आतंकवादियों और नायक खीम सिंह के बीच भारी गोलीबारी से घात दल को खतरा हो गया। आतंकवादियों ने दल पर धावा बोल दिया। अपने दल पर खतरा मंडराते देख नायक खीम सिंह ने अपने सुरक्षा की परवाह किए बिना आतंकवादियों पर धावा बोल कर एक और आतंकवादी को मार गिराया।
निस्वार्थ, साहस के प्रदर्शन के लिए नायक खीम सिंह मेहरा को ‘शौर्य चक्र’ प्रदान किया जाता है।
सिपाही धरम राम
सिपाही धरम राम 5 मई 2015 को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में कांजिकुल गांव में मेजर कबितिरहा सन्याल द्वारा शुरू किए गए गश्ती दल का हिस्सा थे। दिन में करीब एक बजे पास के घर से इस दल पर अचानक भारी गोलीबारी हुई। सिपाही धरम राम ने अपने दल को गोलीबारी की दिशा के बारे में बताया और निडरता से आतंकवादियों से सीधे मुठभेड़ की। इस दौरान उनके पीठ और जांघ पर गोली लगी। इसकी परवाह किए बिना वे आगे बढ़े और आतंकवादी पर गोली चला दी जिससे वह घायल हो गया। वह आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा का जिला कमांडर था।
सिपाही धरम राम ने भारतीय सेना की परंपरा निभाते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इसके लिए सिपाही धरम राम को ‘शौर्य चक्र (मरणोपरांत)’ प्रदान किया जाता है।