प्रिय पूर्व सैनिक मित्रों,
एक रणबांकुरे की पुकार
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भारतीय वायु सेना के जवान विकास यादव (7665898911)
द्वारा वायु सेना स्टेशन पठानकोट पर हुए हमले पर दिल मेँ जोश, आँखों में अँगारे और वाणी में ओज भर देने वाली आग उगलती कविता
हुई शांतियात्रा खत्म , हाथों-हाथ मिला संदेशा हमें,
हुआ वो ही जिसका पहले से था अंदेशा हमें |
इतिहास गवाह है जब-जब ये नवाब साथ बैठकर खाना खाते है,
जवान हमारे लहू बहाकर इनकी कीमत चुकाते है|
दिल्ली की इन हरकतों से नित्य कोई सैनिक परिवार रोता है,
वरना गीदड़ की कहा मजाल, जो शेर की मांद पर आकर बोलता है|
सेना मर-मर पाती है, दिल्ली सब खो देती है,
अमर शहीदों के खुनों को कालिख से धो देती है|
मरा नहीं है वो कमांडो कट गया, उसका निज मस्तक है,
पृथ्वीराज के सिंहासन पर ये गौरी की दस्तक है|
दिल्ली की कायरता देख खून हमारा ख़ौलता है ,
वरना गीदड़ की कहाँ मजाल जो शेर की मांद पर आकर बोलता है||
छोड़ो ये कायरता अब हरावल दस्ते को आगे जाने दो ,
लाहौरी कुत्तो का शीश काटकर लाल किले पर लटकाने दो|
नापाक इरादों वालों इन भेड़ियों का खून हमें पी लेने दो,
26/11 वाले हमलों का जख्म हमें अब थोडा सा सी लेने दो |
कसम भारती की, हम पर जो हाथ उठे वो हाथ तोड़ दो,
इन जाहिलो के बदन के सारे के सारे छेद फोड़ दो|
लेकिन देखो मेरे देश में कैसे वर्दी में बेड़ी पड़ी हुई ,
भारत माता देखो खड़ी सामने जंजीरों में जड़ी हुई|
तभी आंतकी आकर मेरी वायुसेना को तोलता है,
वर्ना गीदड़ की कहा मजाल जो शेर की मांद पर आकर बोलता है||
हद से ज्यादा अहिंसा भी कायरता कहलाती है,
तभी तो आंतकी अड्डों को इतनी हिम्मत आती है|
ना देकर बिरयानी उस जाहिल को, वक़्त से टांग दिया होता,
दूसरा कसाब पैदा करने की हिम्मत फिर पाकिस्तान नहीँ करता |
अब भी मौका है दिल्ली इन भूलो को सुधारों तुम,
इन अड्डों पर चढ़ जाने का आदेश सेना को दे डालो तुम|
विश्व मंडल पर कोहराम मचे तो मच जाने दो,
छोड़ो भेजना सफ़ेद कबूतर इस बार बाज को जानो दो|
इस गीदड़ को मत भगाओ, इसकी चिंता छोड़ो तुम,
शेर के इस पिंजरे का दरवाजा इक बार खोलो तुम|
बस इक अकेले मुझे भेज दो मैं कसम रणचंडी की खाऊंगा ,
खुद अपने हाथों से मैँ लाहौर के इक-इक इंच में तिरंगा फहराऊँगा||
हुआ वो ही जिसका पहले से था अंदेशा हमें |
इतिहास गवाह है जब-जब ये नवाब साथ बैठकर खाना खाते है,
जवान हमारे लहू बहाकर इनकी कीमत चुकाते है|
दिल्ली की इन हरकतों से नित्य कोई सैनिक परिवार रोता है,
वरना गीदड़ की कहा मजाल, जो शेर की मांद पर आकर बोलता है|
सेना मर-मर पाती है, दिल्ली सब खो देती है,
अमर शहीदों के खुनों को कालिख से धो देती है|
मरा नहीं है वो कमांडो कट गया, उसका निज मस्तक है,
पृथ्वीराज के सिंहासन पर ये गौरी की दस्तक है|
दिल्ली की कायरता देख खून हमारा ख़ौलता है ,
वरना गीदड़ की कहाँ मजाल जो शेर की मांद पर आकर बोलता है||
छोड़ो ये कायरता अब हरावल दस्ते को आगे जाने दो ,
लाहौरी कुत्तो का शीश काटकर लाल किले पर लटकाने दो|
नापाक इरादों वालों इन भेड़ियों का खून हमें पी लेने दो,
26/11 वाले हमलों का जख्म हमें अब थोडा सा सी लेने दो |
कसम भारती की, हम पर जो हाथ उठे वो हाथ तोड़ दो,
इन जाहिलो के बदन के सारे के सारे छेद फोड़ दो|
लेकिन देखो मेरे देश में कैसे वर्दी में बेड़ी पड़ी हुई ,
भारत माता देखो खड़ी सामने जंजीरों में जड़ी हुई|
तभी आंतकी आकर मेरी वायुसेना को तोलता है,
वर्ना गीदड़ की कहा मजाल जो शेर की मांद पर आकर बोलता है||
हद से ज्यादा अहिंसा भी कायरता कहलाती है,
तभी तो आंतकी अड्डों को इतनी हिम्मत आती है|
ना देकर बिरयानी उस जाहिल को, वक़्त से टांग दिया होता,
दूसरा कसाब पैदा करने की हिम्मत फिर पाकिस्तान नहीँ करता |
अब भी मौका है दिल्ली इन भूलो को सुधारों तुम,
इन अड्डों पर चढ़ जाने का आदेश सेना को दे डालो तुम|
विश्व मंडल पर कोहराम मचे तो मच जाने दो,
छोड़ो भेजना सफ़ेद कबूतर इस बार बाज को जानो दो|
इस गीदड़ को मत भगाओ, इसकी चिंता छोड़ो तुम,
शेर के इस पिंजरे का दरवाजा इक बार खोलो तुम|
बस इक अकेले मुझे भेज दो मैं कसम रणचंडी की खाऊंगा ,
खुद अपने हाथों से मैँ लाहौर के इक-इक इंच में तिरंगा फहराऊँगा||
विकास यादव
भारतीय वायु सेना
7665898911
भारतीय वायु सेना
7665898911
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