पश्चिमी एशिया, अफ्रीका और यूरोप में भारतीय
नौसेना की तैनाती के तहत आईएनएस त्रिखंड 4 अक्तूबर से तीन दिन की यात्रा पर तुर्की के इस्तांबुल पहुंचा। इस दौरान साझा रूप में
होने वाले पेशेवर क्रियाकलापों के अलावा कई सामाजिक और खेलकूद संबंधी गतिविधियों
की योजना भी तैयार की गई। इन योजनाओं से दोनों देशों के बीच सामुद्रिक हित और
पारस्परिक हित के मसलों पर महत्वपूर्ण सहयोग और समझ विकसित हो पाएगी।
भारतीय नौसेना के युद्धपोत मित्र
देशों के साथ मैत्री प्रगाढ़ करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मज़बूत करने के लिए
नियमित तौर पर तैनात किए जाते हैं। इसका उद्देश्य क्षेत्र में समुद्र संबंधी
सरोकारों का निवारण और एडन की खाड़ी में समुद्री डकैती से निपटना होता है। इसके
अतिरिक्त भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में मित्र देशों की नौसेनाओं की
क्षमताओं का निर्माण और उनकी सामर्थ्य में वृद्धि के लिए भी कार्यरत है। इसके
अलावा नौसेना जलमाप चित्रण संबंधी सर्वेक्षण में सहायता एवं तलाशी और राहत सहित
समुद्री अधिकार क्षेत्र संबंधी जागरूकता में बेहतरी के लिए भी अपना योगदान देती
है। इस वर्ष हाल ही में (अप्रेल 2015 में) भारतीय नौसेना ने संघर्षग्रस्त यमन से 35 अन्य देशों के नागरिकों समेत 3000 भारतीय नागरिकों की निकासी में उल्लेखनीय काम किया था।
भारत और तुर्की के बीच गहरे
ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। पिछले दिनों दोनों देशों के नेताओं की परस्पर यात्रा से
द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देश पंथनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक
सिद्धांतों जैसे सर्वनिष्ठ मूल्यों के प्रति वचनबद्ध हैं। वर्तमान यात्रा यह रेखांकित
करती है कि भारत मित्र देशों के साथ शांतिपूर्ण समन्वय और ख़ासकर तुर्की के साथ
मौजूदा रिश्तों को नये मुकाम तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। फरवरी में तुर्की के
युद्धपोत के विशाखापट्टनम में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय पोतावली समीक्षा कार्यक्रम
में आने पर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक संबंध और प्रगाढ़ होंगे।
कैप्टन विजय कालिया के नेतृत्व में
तुर्की की यात्रा पर गया आईएनएस त्रिखंड हवा, पानी और थल क्षेत्र से पनपने वाले कई ख़तरों से निपटने में सक्षम है। यह
युद्धपोत कई घातक हथियारों और संवेदकों से लैस है। यात्रा पर गया युद्धपोत भारत की
पश्चिमी नौसेना फ्लीट का अंग है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें