लोकसभा में आज आम बजट 2016-17 प्रस्तुत करते हुए वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि मुकदमेबाजी किसी भी कर अनुकूल प्रणाली के लिए नुकसानदायक होती है और अविश्वास का माहौल पैदा करती है। मुकदमेबाजी से करदाताओं की अनुपालन लागत और सरकार की प्रशासनिक लागत भी बढ़ती है। प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष कर संबंधी लगभग 3 लाख मामले लंबित पड़े हैं, जिनकी विवादित राशि 5.5 लाख करोड़ रुपये है। इनकी संख्या को कम करने के उद्देश्य से नई विवाद निपटान योजना (डीआरएस) का शुभारंभ किया गया है। विवाद निपटान योजना की विशेषताएं निम्नलिखित हैं –
• कोई करदाता, जिसकी आज की तारीख में आयुक्त (अपील) के समक्ष कोई अपील लंबित है, वह निर्धारण तिथि तक विवादित कर तथा ब्याज का भुगतान करके अपने मामले का निपटान कर सकता है।
• 10 लाख रुपये तक के विवादित आयकर के मामलों में कोई आर्थिक दंड नहीं लगाया जाएगा।
• 10 लाख रुपये से अधिक के विवादित कर के मामलों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के लिए न्यूनतम अर्थदंड का केवल 25 प्रतिशत दंड लगाया जाएगा।
• अर्थदंड के आदेश के विरुद्ध किसी भी लंबित अपील को न्यूनतम अर्थदंड का 25 प्रतिशत का भुगतान करके निपटाया जा सकता है।
• विशिष्ट अधिनियमों के अंतर्गत जिन व्यक्तियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उनके साथ कुछ श्रेणी के व्यक्ति इस योजना का लाभ नहीं उठा सकेंगे।
सरकार पूर्व प्रभाव से नई करदेयता सृजित नहीं करेगी, यह आश्वासन देते हुए वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने स्थिर और सरल कर प्रणाली की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने पूर्व प्रभावी संशोधन के तहत चल रहे मामलों को एक बार में निपटाने के लिए ‘विवाद निपटान योजना’ का प्रस्ताव रखा, जिसमें अगर कोई बीआईपीए सहित किसी न्यायालय अथवा अधिकरण में लंबित मामले या किसी मध्यस्थता में कार्रवाई को वापस लेने पर सहमति व्यक्त करें तो वह केवल बकाया कर का भुगतान कर अपना मामला निपटा सकता है। श्री जेटली ने आर्थिक अपराधों की विभिन्न श्रेणियों के साथ दंड की राशि का निर्धारण करके संपूर्ण दंड प्रणाली में संशोधन करने और इस प्रकार कर अधिकारियों के अधिकारों को काफी हद तक कम करने का प्रस्ताव किया। अब आय को कम दर्शाने के मामले में कर का 50 प्रतिशत और तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के मामले में कर का 200 प्रतिशत अर्थदंड दर होगी। कर अदा किया गया हो और अपील दायर नहीं की गई हो, ऐसी विशेष परिस्थितियों में दंड माफी का भी प्रस्ताव किया गया है।
दूसरा मुद्दा जिसके कारण विवादों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, वह है आयकर अधिनियम की धारा 14 ए के तहत छूट प्राप्त आय से संबंधित व्यय की अस्वीकृति की संख्या। इसलिए नियम 8 डी को तर्कसंगत बनाने का भी प्रस्ताव किया गया है।
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विवेक गौड़/वि.कासोटिया/अर्चना/इन्द्रपाल/राजीव/शशि/रीता/मनीषा/संजीव/विमला/सुनीता/गीता/सुनील/जगदीश-25
(Release ID 46349)
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