एनडीए से पहले यूपीए सरकार ने भी सैनिकों को पैरा मिलेट्री में शामिल करने के बारे में सोचा था।
नई दिल्ली: सरकार के एक उच्च अधिकारी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा है कि भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार, सेवानिवृत्त सैनिकों को पैरा मिलेट्री और पुलिस में शामिल करने की योजना बना रही है। इस योजना के फलस्वरूप सैनिक 60 साल की उम्र तक काम कर पाएंगे और ओआरओपी के तहत बढ़ी हुई पेंशन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। ओआरओपी की मांग करने वाले पूर्व सैनिकों का कहना है कि 80 प्रतिशत सैनिक साठ साल से पहले ही रिटायर हो जाते हैं। पिछले शनिवार ही सरकार ने ओआरओपी की घोषणा कर दी है और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के मुताबिक इसमें लगने वाला खर्चा करीब 20 हज़ार करोड़ है। हर साल करीब 20 हज़ार सैनिक और अफसर सेना की हर सेवा (थल, वायु और जल सेना) से रिटायर होते हैं। इनमें से 70 से 80 प्रतिशत सैनिक 60 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले ही अपनी सेवा पूरी किए बगैर अपने घर लौट आते हैं।
वैसे सेवानिवृत्त सैनिकों को पैरा-मिलेट्री में शामिल करने की सोच नई नहीं है और इससे पहले 6ठां वेतन आयोग भी इसका सुझाव दे चुका है। इसके पीछे का तर्क यह है कि इन प्रशिक्षित और अनुशासित सैनिकों की भर्ती से पैरा मिलेट्री को फायदा ही होगा। यूपीए सरकार ने इस सिफारिश को स्वीकार भी कर लिया था लेकिन इसे लागू नहीं कर पाई थी। वजह - राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के साथ ही पैरा मिलेट्री दल ने भी ख़ास रुचि नहीं दिखाई थी।गौरतलब है कि सीआरपीएफ, बीएसएफ, इंडो तिब्बती बॉर्डर पुलिस और सेंट्रल इंडसट्रियल सेक्युरिटी फोर्स जैसे पैरा मिलेट्री दलों में 50 हज़ार सैनिकों की कमी है। इसके अलावा सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे दलों को अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए नई बटालियन खड़ी करने की भी ज़रूरत है।
जरिया-NDTV
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ये मेरा इस विषय में कहना यह है की यह गलत बात फैलाई जाती है की "सेवा पुरी किये बगैर अपने घर लौट जाते है।" हम हमारा अनुबंधीत कार्यकाल पुरा करके, हमें घर लौटनेपर नई नौकरी या रोजगार मिलेगा की नहीं ईसकी चिंता किये बगैर, सेनाको जवान रखने के लिये, अपनी बढनेवाली उम्र का लिहाज करते हुए, देश की सुरक्षाको मद्देनजर रखतेहुये, घर लौट आते है। हमारे सुरक्षीत भविष्य की जिम्मेदारी वैसे भी सरकार की है। हमें पॅरा-मिलीटरी मे शामील करके सरकार कोई एहसान नहीं कर रही बल्की दुहरा फायदा उठा रहीं है। एक तो प्रशिक्षीत उम्मीदवार मिल रहे है, जिनपल प्रशिक्षण का खर्चा बचेगा और इनको 'वन रँक वन पेंशन' के तहत भुगतान नहीं करना पडेगा। हम तो दोनोही हालात में देश के काम आनेवाले है इसलिये खुशहै। कमसे कम ये सरकार तो यह लागु करनेकी हिम्मत दिखायें।
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