राष्ट्रीय राइफल 01 अक्टूबर, 2015 को अपना रजत जयंती मना रहा है। इसका गठन 01 अक्टूबर, 1990 को तत्कालीन सीओएस जनरल वी एम शर्मा ने राष्ट्रीय राइफल के पहले महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल पी सी मनकोटिया के साथ किया था। प्रारंभ में राष्ट्रीय राइफल की 06 में से 03 बटालियनें पंजाब में और तीन जम्मू और कश्मीर में तैनात की गईं। जनरल बी सी जोशी के नेतृत्व में इसका व्यापक विस्तार हुआ और पूर्वोत्तर में भी राष्ट्रीय राइफल का गठन हुआ। बाद में राष्ट्रीय राइफल की सभी बटालियनें जम्मू और कश्मीर भेजी गईं और तब से राष्ट्रीय राइफल की तैनाती केवल जम्मू और कश्मीर में ही है। अभी लेफ्टिनेंट जनरल संदीप सिंह राष्ट्रीय राइफल्स के महानिदेशक हैं। भारत की आंतरिक सुरक्षा स्थिति तथा वर्तमान परंपरागत खतरों के साथ-साथ घुसपैठ विरोधी कार्रवाईयों से निपटने के लिए विशेष रूप से संगठित बल की आवश्यकता महसूस की गई। एक ऐसे बल की आवश्यकता महसूस की गई, जिसे सेना के मोर्चों की निरंतर तैनाती और आंतरिक सुरक्षा इकाई के रूप में तैनात किया जा सके और जो पारंपरिक युद्ध के दौरान भारतीय सेना को समर्थन दे। भारतीय सेना के जवानों की 100 प्रतिशत प्रतिनियुक्ति के साथ अखिल भारतीय आधार पर राष्ट्रीय राइफल का गठन किया गया। राष्ट्रीय राइफल ने 16368 आतंकवादियों को प्रभाव शून्य किया। इसमें से 8522 आतंकवादी मारे गए, 6737 पकड़े गए और 1109 आतंकवादियों ने समर्पण किया। राष्ट्रीय राइफल ने अब तक बड़ी मात्रा में युद्धक सामग्रियों की बरामदगी की है। राष्ट्रीय राइफल ने न केवल आतंकवाद का मुकाबला किया है, बल्कि जमीनी स्तर पर सदभावना गतिविधियां चलाकर लोगों का दिल भी जीता है। राष्ट्रीय राइफल्स द्वारा अनेक नागरिक कार्यक्रम किये गये हैं, ताकि स्थानीय लोगों का सामाजिक, शैक्षिक तथा सांस्कृतिक उत्थान हो सके, युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा सके, महिलाओं की शिक्षा में योगदान हो तथा सामान्य प्रगति हो सके। राष्ट्रीय राइफल्स को 06 अशोक चक्र, 34 कीर्ति चक्र, 221 शौर्य चक्र तथा 1508 सेना पदक मिले हैं। [PIB] |
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बुधवार, 30 सितंबर 2015
राष्ट्रीय राइफल की रजत जयंती
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