सरकार ने पूर्व सैनिकों के लिए एक रैंक एक पेंशन योजना की घोषणा कर दी है। रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर ने आज यहां इसकी घोषणा की। रक्षा मंत्री का वक्तव्य निम्नलिखित है–
भारत सरकार अपने रक्षाबलों तथा पूर्व सैनिकों के पराक्रम, देश भक्ति तथा त्याग के लिए उनका सम्मान करता है। अपने कर्तव्य तथा वीरता के प्रति उनके समर्पण के लिए सरकार को गर्व है। राष्ट्र की चौकसी तथा वीरतापूर्वक उसकी रक्षा करने के साथ हमारी सेना ने प्राकृतिक आपदा, कानून तथा व्यवस्था स्थितियों व अन्य मुश्किल परिस्थितियों में साहस तथा वीरता के अनुकरणीय मानकों का प्रदर्शन किया है।
‘’एक रैंक एक पेंशन’’ (ओआरओपी) का मामला चार दशकों से लम्बित है। ये एक गंभीर चिंता का मामला है कि विभिन्न सरकारें ओआरओपी के मामले में अस्पष्ट रहीं। फरवरी, 2014 में तत्कालीन सरकार ने कहा था कि 2014-15 में ओआरओपी का कार्यान्वयन होगा। लेकिन इसका स्वरूप क्या होगा, ये कैसे लागू होगा अथवा इसकी लागत क्या होगी इसके बारे में स्पष्ट नहीं किया गया था। तत्कालीन सरकार द्वारा फरवरी, 2014 में प्रस्तुत बजट में ओआरओपी के लिए अनुमानित 500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे, जोकि किसी विस्तृत विश्लेषण पर आधारित नहीं थे। यहां पर ये उल्लेख करना प्रासांगिक होगा कि रक्षा राज्य मंत्री ने 2009 में, एक प्रश्न के उत्तर में संसद को सूचना दी थी कि ओआरओपी के कार्यान्वयन में प्रशासनिक, तकनीकी तथा वित्तीय कठिनाईयां हैं। इन्हीं कारणों के चलते वर्तमान सरकार ने अपने वायदे को पूरा करने में कुछ समय लगाया।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने, विभिन्न अवसरों पर, सैन्य पेंशन अंतर्गत ओआरओपी का क्रियान्वयन करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया है। जैसा कि ऊपर कहा गया है पूर्व सरकार ने मात्र 500 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के साथ ओआरओपी के क्रियान्वयन का अनुमान लगाया था। यद्यपि, वास्तविकता ये है कि ओआरओपी के कार्यान्वयन के लिए वर्तमान में राजकोष से अनुमानित 8,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक का अनुमानित खर्च आएगा और भविष्य में इसमें और वृद्धि हो सकती है।
सरकार ने विशेषज्ञ तथा पूर्व सैनिकों के साथ व्यापक परामर्श किया है। ओआरओपी के लिए मुख्य बहस ये है कि रक्षा कर्मचारी जल्दी सेवानिवृत्त होते हैं तथा इसीलिए सामान्य सेवानिवृत्ति की आयु तक सेवारत होने के लाभ उन्हें प्राप्त नहीं होते। भारी वित्तीय भार के बावजूद पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए दी गये अपनी प्रतिबद्धता के कारण सरकार ने ओआरओपी को लागू करने का निर्णय लिया है।
सहज शब्दों में कहा जाए तो ओआरओपी का अर्थ है समान पद तथा सेवा की समान अवधि के साथ सेवानिवृत्त हुए सशस्त्र बल के कर्मचारियों को समान पेंशन मिलेगी। सेवानिवृत्ति की तिथि का इस पर कोई असर नहीं होगा। पूर्व पेंशन कर्मियों को पेंशन की दरों में भविष्य में होने वाली वृद्धि का लाभ स्वत: ही मिलेगा। इसका अर्थ है समय-समय के अंतराल पर वर्तमान तथा पूर्व पेंशन कर्मियों की पेंशन संबंधी दरों के बीच के अंतर को कम करना।
इस परिभाषा के अंतर्गत ये निर्णय लिया गया है कि वर्तमान पेंशनधारी तथा पूर्व पेंशनधारकों के पेंशन की दरों के बीच का अंतर प्रत्येक पांच सालों में कम किया जाएगा।
ओआरओपी योजना के अंतर्गत :
ये लाभ 01 जुलाई, 2014 से प्रभावी होगा। वर्तमान सरकार ने 26 मई, 2014 से कार्यभार संभाला था और इसीलिए इसके तुरंत एक दिन बाद से इस योजना को लागू किये जाने का निर्णय लिया गया है।
बकाया राशि का चार अर्द्धवार्षिक किश्तों में भुगतान किया जाएगा। सभी विधवाएं को, जिनमें युद्ध में विधवा हुई महिलाएं भी शामिल हैं, एक किश्त में बकाया राशि दी जाएगी।
शुरू में वर्ष 2013 के आधार अनुसार ओआरओपी का निर्धारण किया जाएगा।
2013 में न्यूनतम तथा अधिकतम पेंशन के औसत के अनुसार समान पद तथा सेवा की समान अवधि में सेवानिवृत्त हो रहे सभी पेंशनधारकों के लिए पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाएगा। औसत से ऊपर पेंशन ले रहे पेंशनधारकों को संरक्षण दिया जाएगा।
स्वेच्छा से सेवानिृत्त हुए सैनिक ओआरओपी योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे।
भविष्य में प्रत्येक पांच सालों में पेंशन का पुनर्निर्धारण किया जाएगा।
अनुमान लगाया जा रहा है कि अकेले बकाया राशि के ऊपर 10 से 12 हजार करोड़ रुपयों का खर्च आएगा। पिछली सरकार ने बजट में मात्र 500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए थे। इस बात के अलावा ये भी विचारणीय है कि कोशियारी समिति ने ओआरओपी के कार्यान्वयन के लिए अतिरिक्त वित्तीय भार के रूप में 235 करोड़ रुपये के अनुमान को स्वीकार किया था। वर्तमान सरकार ने ओआरओपी को सही भावना से स्वीकार करते हुए इन गलत अनुमानों के बारे में विचार नहीं किया है।
ओआरओपी एक जटील मामला है। इस संबंध में अलग अवधि तथा अलग पदों में सेवानिृत्त हुए सैनिकों के हितों का गहन अध्ययन करना जरूरी हो जाता है। तीनों बलों की अंतर सेवा मामलों के बारे में भी विचार किये जाने की जरूरत है। ये केवल एक प्रशासनिक मामला नहीं है। इसीलिए इस बात का भी निर्णय लिया गया है कि एक सदस्यीय न्यायिक समिति गठित की जाएगी, जो छह महीनों में अपनी रिपोर्ट दे देगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए सशस्त्र बल कर्मचारियों के लिए ओआरओपी को स्वीकृति दे दी है। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय शीघ्र ही विस्तृत सरकारी आदेश जारी करेगा।
[PIB]
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