विज्ञान सार्वभौमिक है लेकिन प्रौद्योगिकी को स्थानीय होना चाहिए-प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा
इंपेक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इमप्रिंट) इंडिया का ब्रोसर आज राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित कुलाध्यक्ष सम्मेलन में जारी किया गया। इमप्रिंट इंडिया भारत से संबंधित 10 प्रौद्योगिकी कार्यक्षेत्रों में प्रमुख इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी चुनौतियों के समाधान हेतु अनुसंधान की योजना विकसित करने के लिए पेन-आईआईटी और आईआईएससी की संयुक्त पहल है। इस ब्रोसर का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री राम शंकर कठेरिया, रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री श्री हंस राज अहीर की उपस्थिति में लोकार्पण किया। इस ब्रोसर की पहली प्रति राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी को भेंट की गई। राष्ट्रपति ने बाद में इमप्रिंट इंडिया का लोकार्पण किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि अगर उच्च शिक्षा के संस्थान साथ मिलकर काम करें तो वे देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में थोड़े ही समय में काफी बदलाव ला सकते हैं। इमप्रिंट इंडिया संस्थानों, शैक्षणिक समुदाय, उद्योग के लिए समन्वित मंच है, जो अनुसंधान और नवाचार प्रोत्साहित करके इसे सामाजिक रूप से अधिक प्रासंगिक बनाते हैं। राष्ट्रपति ने शैक्षिक नेटवर्क के लिए वैश्विक (ज्ञान) पहल का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। मंत्रालय ने अभी हाल में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएस) शुरू किया है। उन्होंने कहा है कि नई शिक्षानीति को शिक्षा क्षेत्र की गति में परिवर्तन लाकर 2020 तक 30 प्रतिशत के जीईआर लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी सहायता करनी चाहिए। यह वह लक्ष्य है जिससे हम पीछे नहीं रहना चाहते।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देश की प्रगति और विकास के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के संस्थानों को शिक्षा में नवाचार को महत्व देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक गर्मी और अपशिष्ट को दौलत में बदलने की चुनौतियों का समाधान निकालना चाहिए क्योंकि ये भारत की तरक्की के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने उच्च शिक्षा के संस्थानों से रक्षा विनिर्माण जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक है लेकिन प्रौद्योगिकी को स्थानीय होना चाहिए।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी ने इस अवसर पर कहा कि इंपेक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इमप्रिंट) इंडिया एक अति महत्वपूर्ण विजन है जो अनुसंधानों को उन क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करता है जो सामाजिक रूप से अति विशिष्ट हैं। उन्होंने कुलाध्यक्ष सम्मेलन में अपना विजन साझा करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उनके विजन से विदेशी विद्वानों को भारत में आने और पूरे देश के सरकारी संस्थानों में शिक्षा प्रदान में मदद मिलेगी। ‘ज्ञान’ के तहत 400 विदेशी शिक्षाविदों का सरकारी संस्थानों में स्वागत किया जाएगा और वे यहां छात्रों को नए ज्ञान से अवगत कराएंगे तथा संकाय के साथ शिक्षण की नई विधियों को साझा करेंगे।
इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा सचिव श्री विनय शील ओबरॉय और राष्ट्रपति की सचिव श्रीमती ओमिता पॉल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
इंपेक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इमप्रिंट) इंडिया का ब्रोसर आज राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित कुलाध्यक्ष सम्मेलन में जारी किया गया। इमप्रिंट इंडिया भारत से संबंधित 10 प्रौद्योगिकी कार्यक्षेत्रों में प्रमुख इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी चुनौतियों के समाधान हेतु अनुसंधान की योजना विकसित करने के लिए पेन-आईआईटी और आईआईएससी की संयुक्त पहल है। इस ब्रोसर का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री राम शंकर कठेरिया, रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री श्री हंस राज अहीर की उपस्थिति में लोकार्पण किया। इस ब्रोसर की पहली प्रति राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी को भेंट की गई। राष्ट्रपति ने बाद में इमप्रिंट इंडिया का लोकार्पण किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि अगर उच्च शिक्षा के संस्थान साथ मिलकर काम करें तो वे देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में थोड़े ही समय में काफी बदलाव ला सकते हैं। इमप्रिंट इंडिया संस्थानों, शैक्षणिक समुदाय, उद्योग के लिए समन्वित मंच है, जो अनुसंधान और नवाचार प्रोत्साहित करके इसे सामाजिक रूप से अधिक प्रासंगिक बनाते हैं। राष्ट्रपति ने शैक्षिक नेटवर्क के लिए वैश्विक (ज्ञान) पहल का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। मंत्रालय ने अभी हाल में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएस) शुरू किया है। उन्होंने कहा है कि नई शिक्षानीति को शिक्षा क्षेत्र की गति में परिवर्तन लाकर 2020 तक 30 प्रतिशत के जीईआर लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी सहायता करनी चाहिए। यह वह लक्ष्य है जिससे हम पीछे नहीं रहना चाहते।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देश की प्रगति और विकास के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के संस्थानों को शिक्षा में नवाचार को महत्व देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक गर्मी और अपशिष्ट को दौलत में बदलने की चुनौतियों का समाधान निकालना चाहिए क्योंकि ये भारत की तरक्की के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने उच्च शिक्षा के संस्थानों से रक्षा विनिर्माण जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक है लेकिन प्रौद्योगिकी को स्थानीय होना चाहिए।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी ने इस अवसर पर कहा कि इंपेक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इमप्रिंट) इंडिया एक अति महत्वपूर्ण विजन है जो अनुसंधानों को उन क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करता है जो सामाजिक रूप से अति विशिष्ट हैं। उन्होंने कुलाध्यक्ष सम्मेलन में अपना विजन साझा करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उनके विजन से विदेशी विद्वानों को भारत में आने और पूरे देश के सरकारी संस्थानों में शिक्षा प्रदान में मदद मिलेगी। ‘ज्ञान’ के तहत 400 विदेशी शिक्षाविदों का सरकारी संस्थानों में स्वागत किया जाएगा और वे यहां छात्रों को नए ज्ञान से अवगत कराएंगे तथा संकाय के साथ शिक्षण की नई विधियों को साझा करेंगे।
इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा सचिव श्री विनय शील ओबरॉय और राष्ट्रपति की सचिव श्रीमती ओमिता पॉल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
[PIB]
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