सरकार ने आज सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए ‘वन रैंक वन पेंशन' की अधिसूचना जारी कर दी।
भारत में सैन्य बलों का इतिहास गौरवमय रहा है और बहादूरी तथा वीरता सदैव से इनकी परंपरा रही है। सैन्य बलों न केवल अद्भुत वीरता और बहादुरी से देश की सीमाओं की सुरक्षा की है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं तथा अन्य मुसीबतों के समय भी बहादुर और निडर रवैये तथा सहानुभूति के साथ कार्य किया है। भारत सरकार उनके इस योगदान को पहचानते हुए उनका सम्मान करती हैं।
‘वन रैंक वन पेंशन’ की मांग सैन्य कर्मियों द्वारा काफी लंबे समय से की जा रही थी। सैन्य बल लगभग पिछले चार दशकों से यह मांग करते आ रहे थे लेकिन यह मुद्दा सुलझाया नहीं जा सका था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सेवानिवृत्त सैनिकों के कल्याण के लिए इसे लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी तथा इसलिए सरकार ने 5 सितंबर, 2015 को वन रैंक वन पेंशन लागू करने के तरीकों की घोषणा की थी। इस संबध में रक्षा मंत्रालय के जिस आदेश को आचार संहिता के कारण जारी नहीं किया जा सका था, उसे आज जारी किया गया है।
इस आदेश में वर्णित वन रैंक वन पेंशन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
1. शुरूआत में पिछले पेंशन भोगियों की पेंशन का पुन:नियतन कलेंडर वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों की पेंशन के आधार पर किया जाएगा तथा ये हितलाभ 1 जुलाई, 2014 से प्रभावी होंगे।
2. सभी पेंशन भोगियों के लिए पेंशन का पुन: नियतन समान रैंक पर तथा सेवा की समान अवधि तक सेवा के बाद 2013 में सेवानिवृत्त होने वाले सैन्य कर्मियों की अधिकतम तथा न्यूनतम पेंशन के औसत के आधार पर किया जाएगा।
3. औसत से अधिक पेंशन प्राप्त करने वाले कर्मियों की पेंशन यथावत रहेगी।
4. इस संबध में बकाया का भुगतान चार समान अर्द्धवार्षिक किस्तों में किया जाएगा। सभी पारिवारिक पेंशन भोगियों, विशेष रूप से विशेष/लिबरलाईज्ड पारिवारिक पेंशन भोगियों तथा वीरता पुरस्कार विजेताओं को बकाया का भुगतान एक ही किस्त में किया जाएगा।
5. भविष्य में पेंशन का पुन: नियतन पांच वर्ष के अंतराल पर किया जाएगा।
जो कर्मचारी नियम 13 (3) 1 (i) (b), 13 (3) 1 (iv) या सेना नियम 1954 के नियम 16 B या वायुसेना अथवा जलसेना नियमों के अनुसार स्वयं अपने निवेदन पर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को वन रैंक वन पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। यह आगे से प्रभावी होगा।
सरकार ने वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने में उत्पन्न विसंगतियों , यदि कोई हों, को सुलझाने के लिए एक न्यायिक समिति गठित करने का फैसला किया है। यह न्यायिक समिति अपनी रिपोर्ट छह महीने में प्रस्तुत करेगी।
पेंशन को अपडेट करने तथा बकाया का भुगतान करने हेतु प्रत्येक रैंक और प्रत्येक श्रेणी के लिए संशोधित पेंशन दर्शाने वाले सारणी सहित विस्तृत विवरण सीधे पेंशन संवितरण एजेंसियों द्वारा अलग से जारी किए जाएंगे।
पिछली सरकार ने वन रैंक वन पेंशन को लागू करने के लिए बजट में 500 करोड़ रूपए का प्रावधान करने की घोषणा की थी। वर्तमान सरकार ने इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर लिया तथा यह पाया कि इसके लिए वार्षिक अतिरिक्त व्यय वर्तमान में 8 से 10 हजार करोड़ रूपए होगा जो भविष्य में और बढ़ेगा। इस मामले में वित्तीय बाधाओं को ध्यान में न रखते हुए अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार वर्तमान सरकार ने सच्चे अर्थों में वन रैंक वन पेंशन को लागू करने के लिए सरकारी आदेश जारी किया है।
भारत में सैन्य बलों का इतिहास गौरवमय रहा है और बहादूरी तथा वीरता सदैव से इनकी परंपरा रही है। सैन्य बलों न केवल अद्भुत वीरता और बहादुरी से देश की सीमाओं की सुरक्षा की है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं तथा अन्य मुसीबतों के समय भी बहादुर और निडर रवैये तथा सहानुभूति के साथ कार्य किया है। भारत सरकार उनके इस योगदान को पहचानते हुए उनका सम्मान करती हैं।
‘वन रैंक वन पेंशन’ की मांग सैन्य कर्मियों द्वारा काफी लंबे समय से की जा रही थी। सैन्य बल लगभग पिछले चार दशकों से यह मांग करते आ रहे थे लेकिन यह मुद्दा सुलझाया नहीं जा सका था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सेवानिवृत्त सैनिकों के कल्याण के लिए इसे लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी तथा इसलिए सरकार ने 5 सितंबर, 2015 को वन रैंक वन पेंशन लागू करने के तरीकों की घोषणा की थी। इस संबध में रक्षा मंत्रालय के जिस आदेश को आचार संहिता के कारण जारी नहीं किया जा सका था, उसे आज जारी किया गया है।
इस आदेश में वर्णित वन रैंक वन पेंशन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
1. शुरूआत में पिछले पेंशन भोगियों की पेंशन का पुन:नियतन कलेंडर वर्ष 2013 में सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों की पेंशन के आधार पर किया जाएगा तथा ये हितलाभ 1 जुलाई, 2014 से प्रभावी होंगे।
2. सभी पेंशन भोगियों के लिए पेंशन का पुन: नियतन समान रैंक पर तथा सेवा की समान अवधि तक सेवा के बाद 2013 में सेवानिवृत्त होने वाले सैन्य कर्मियों की अधिकतम तथा न्यूनतम पेंशन के औसत के आधार पर किया जाएगा।
3. औसत से अधिक पेंशन प्राप्त करने वाले कर्मियों की पेंशन यथावत रहेगी।
4. इस संबध में बकाया का भुगतान चार समान अर्द्धवार्षिक किस्तों में किया जाएगा। सभी पारिवारिक पेंशन भोगियों, विशेष रूप से विशेष/लिबरलाईज्ड पारिवारिक पेंशन भोगियों तथा वीरता पुरस्कार विजेताओं को बकाया का भुगतान एक ही किस्त में किया जाएगा।
5. भविष्य में पेंशन का पुन: नियतन पांच वर्ष के अंतराल पर किया जाएगा।
जो कर्मचारी नियम 13 (3) 1 (i) (b), 13 (3) 1 (iv) या सेना नियम 1954 के नियम 16 B या वायुसेना अथवा जलसेना नियमों के अनुसार स्वयं अपने निवेदन पर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को वन रैंक वन पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। यह आगे से प्रभावी होगा।
सरकार ने वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने में उत्पन्न विसंगतियों , यदि कोई हों, को सुलझाने के लिए एक न्यायिक समिति गठित करने का फैसला किया है। यह न्यायिक समिति अपनी रिपोर्ट छह महीने में प्रस्तुत करेगी।
पेंशन को अपडेट करने तथा बकाया का भुगतान करने हेतु प्रत्येक रैंक और प्रत्येक श्रेणी के लिए संशोधित पेंशन दर्शाने वाले सारणी सहित विस्तृत विवरण सीधे पेंशन संवितरण एजेंसियों द्वारा अलग से जारी किए जाएंगे।
पिछली सरकार ने वन रैंक वन पेंशन को लागू करने के लिए बजट में 500 करोड़ रूपए का प्रावधान करने की घोषणा की थी। वर्तमान सरकार ने इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर लिया तथा यह पाया कि इसके लिए वार्षिक अतिरिक्त व्यय वर्तमान में 8 से 10 हजार करोड़ रूपए होगा जो भविष्य में और बढ़ेगा। इस मामले में वित्तीय बाधाओं को ध्यान में न रखते हुए अपनी प्रतिबद्धता के अनुसार वर्तमान सरकार ने सच्चे अर्थों में वन रैंक वन पेंशन को लागू करने के लिए सरकारी आदेश जारी किया है।
[PIB]
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